प्राचीन मध्य प्रदेश का इतिहास madhya pradesh ka prachin itihas
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर आ रहा हु इस लेख में हम आपको प्राचीन मध्य प्रदेश का इतिहास madhya pradesh ka prachin itihas से सम्बंधित जानकारी को इस लेख में हम आपको मध्य प्रदेश के इतिहास से सम्बंधित जानकारी को इस लेख में देखेंगे
प्राचीन मध्य प्रदेश का इतिहास
मध्य प्रदेश का प्राचीन काल
मध्य प्रदेश में प्राचीन इतिहास तीन भागों में बांटा गया है
1;- पूरा पाषाण काल
2;- मध्य पाषाण काल
3;- नवपाषाण काल
पूरा पाषाण काल
पुरापाषान काल का समय 10 लाख से 10000 ईसा पूर्व तक का था इस काल में आग की खोज हुई थी इस समय मानव जीवन निर्वाह शिकार पर आधारित थी मध्य प्रदेश में भीम बेटीका रायसेन जिला से पूरा पाषाण काल की जानकारी मिली है
मध्य पाषाण काल
मध्य पाषाण काल का समय 10000 से 7000 ईसा पूर्व तक का था मानव जीवन निर्वाह पशुपालन पर आधारित था इस कल से पता लगा है मध्य पाषाण काल के जो साक्ष्य है वह आदमगढ़ होशंगाबाद से प्राप्त हुए हैं
नव पाषण काल
नव पाषण काल का समय 7000 से 4000 ईसा पूर्व तक का माना जाता है इसमें मानव जीवन निर्वाह कृषि पर आधारित था इस समय पहिए का आविष्कार हुआ था मध्य प्रदेश में हटा संग्रामपुर घाटी दमोह मामा भांजा पंचमणि में स्थित है
पाषाण कालीन मध्य प्रदेश के स्थल
पुरापाषाण काल आदि मानव का काल था उस समय मनुष्य का कोई निश्चित निवास ठान नहीं था उसे चाहे जहा पर भोजन मिल जाता था वह वही निवास करना प्रारंभ करता था मानव का विकास एक क्रम के अनुसार हुआ है पहले वह पेड़ो पर रहता था इसके बाद धीरे धीरे वह आगे बढता गया और धीरे धीरे वह अपना स्थान परिवर्तन करता गया .पाषाण काल के महत्वपूर्ण स्थल जहा से हमें पाषाण काल की जानकारी देखने को मिलती है
भीमबेटका
भीमबेटका या रायसेन में स्थित है इसकी खोज 1957 से 58 में श्रीधर विष्णु वाडकर द्वारा की गई थी इसे वर्ष 2003 में विश्व धरोहर घोषित किया गया था
आजमगढ़ स्थल / आदमगढ़
आजमगढ़ स्थल नर्मदा पुरम जिले में स्थित है यह 1964 में मनोरंजन घोष के द्वारा खोजा गया था इसके साक्ष्य पशुपालन के प्रथम साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं अन्य पाषाण कालीन स्थल में है .
- कसरावद
- खरगोन
- हटा दमोह
- त्योथार रीवा
- खलघाट धार
हटलोरा / हथनोरा
यह सीहोर जिले में स्थित है इसकी खोज 1932 में अरुण सोलंकी के द्वारा इसकी खोज की गई थी इसके साथ मानव खोपड़ी और हाथी के जीवाश्म से प्राप्त हुए हैं
पाषाण काल के अन्य खोजकर्ता से संबंधितजानकारी
एच डी संकलिया इन्होंने नाबदाटोली खरगोन में पाषाण कालीन स्थल को खोज निकाला था
आवरा मंदसौर
- एच वी त्रिवेदी आवरा मंदसौर
- निसार अहमद जी आर शर्मा सोन घाटी क्षेत्र
मध्य प्रदेश में ताम्र पाषाण कालीन स्थल
- मध्य प्रदेश में ताम्र पाषाण कालीन स्थल में कायथा था
- यह उज्जैन कालीसिंध नदी के किनारे स्थित स्थल है
- इसे भूरे रंग के वृद्ध भांड से भी जाना जाता है
- इसकी खोज 1964 में ई विष्णु श्रीधर वाकणकर के द्वारा की गई थी
- इसे पहले ताम्र कालीन नगर भी माना जाता है
अन्य ताम्रकाली स्थल की जानकारी में
- सागर जिले में है
- खेतडी नामक स्थान होशंगाबाद जिले में है
- नागदा उज्जैन जिले में है
- वेसनगर विदिशा जिले में है
नागदा टोली स्थल की खोज
नागाटोली या नावदा टोली स्थल की खोज महेश्वर खरगोन नर्मदा नदी के किनारे की गई थी इसके साक्षी भूरे रंग के मृदा है इसकी खोज एचडी संकलिया के द्वारा की गई थी
- डाक बंगला स्थल उज्जैन जिले में स्थित है
- इसके साथ लाल कल वृद्धि बढ़ाने एवं तांबे के औजार हैं
आवरा
मध्य प्रदेश में आवरा स्थित मंदसौर इसके साक्षी रोम व्यापार से मिले हैं इसकी खोज H.B त्रिवेदी जी ने की थी
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दोस्तों इस लेख में हमने आपको मध्य प्रदेश का प्र्क़चिन इतिहास से सम्बंधित जानकारी को आपके सामने रखा है प्राचीन मध्य प्रदेश का इतिहास madhya pradesh ka prachin itihas मध्य प्रदेश का प्राचीन काल पूरा पाषाण काल मध्य पाषाण काल नव पाषण काल ताम्र पाषाण कालीन से सम्बंधित जानकारी को आपके सामने रखा है