मध्य प्रदेश के पुरातात्विक स्थल

मध्य प्रदेश के पुरातात्विक स्थल madhya pradesh ke puratatvik sthal 

हेलो दोस्तों इस लेख में हम आपको मध्य प्रदेश के पुरातात्विक स्थल madhya pradesh ke puratatvik sthal महत्वपूर्ण जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे यह लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा इस लेख में हम मध्य प्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल की जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे . जिससे आपको सभी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए यह लेख बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा . 


मध्य प्रदेश के पुरातात्विक स्थल


पुरातात्विक स्थल - मध्य प्रदेश 

किसी भी देश या राज्य के लिए के विकास और उसकी ख्याति के लिये उसके स्थल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है किसी देश के ऐसा स्थान जी विश्व विख्यता है आकर्षक है जिसे देखने के लिए लाखो सेनानी दूर - दूर से आते है जिससे उस राज्य की ख्याति प्राप्त होती है ऐसा ही एक राज्य है मध्य प्रदेश जिस के महत्वपूर्ण स्थल ने विश्व में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है 

मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल 

  • खजुराहो 
  • साँची 
  • भीम बेटिका 
  • उदयगिरी की गुफा 
  • चित्रकूट 
  • ओरछा 
  • मांडू 
  • ओम्कारेश्वर 
  • महेश्वर 
  • उज्जैन 

1;- खजुराहो 

  • यह स्थान छतरपुर जिले में है 
  • यहा के मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है 
  • खजुराहो को 1986 में विश्व धरोहर के रूप में अपनाया गया था 
  • यह चंदेलो शासको का धार्मिक और संस्कृतिक केंद्र रहा है 
  • खजुराहो का आधार स्तंभ चंद्र्वर्मन ने राखी थी 

मध्य प्रदेश के पुरातात्विक स्थल


  • यहा पर चेदी , चंद्र्खली , उहाल , या उमाला , और जेजाकभुक्ति प्रमुख वंश रहे है 
  • इसका अंतिम शासक जेजाकभुक्ति जिसे खजूर वाहक के नाम से भी जाना जाता है 
  • यहा पर कंदरिया महादेव मंदिर , चोसथ योगनी मंदिर , विश्वनाथ मंदिर दुल्हादेव मंदिर जैसे कई प्राचीन ईमारत है 


2;- साँची के स्तूप 

  • यह रायसेन जिले में है 
  • यह भोपाल से 45 km है 
  • साँची को पूर्व मे काकनाय , काकनादबोत के नाम से भी जाना जाता है 
  • साँची के पुराने स्मारक मोर्य सम्राट अशोक ने बनवाये थे 
  • सम्राट अशोक की पत्नी विदिशा की एक व्यापारी की बेटी थी 


मध्य प्रदेश के पुरातात्विक स्थल


  • धर्म पत्नी की इच्छा के लिए यहा विदिशा में साँची की पहाड़ी , स्तूप विहार बनवाये है 
  • यूनेस्को में इसे 1989 में साँची को विश्व धरोहर सूचि में शामिल किया गया है 
  • साँची स्तूप में जातक कथाओं का वर्णन किया गया है 
  • सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और संघमित्रा को श्रीलंका बोध्य के प्रचार को भेजा था 

3;- उदयगिरी की पहाड़ी 

  •  यह साँची से लगभग 14 km दुरी पर विदिशा मारन पर अविस्तिथ है 
  • यह 2.4 km लम्बी उत्तर से पूर्व में 107 मीटर तक है 
  • उदयगिरी की गुफा की कुल संख्या 20 है 
  • यह गुफा 4 थी शताब्दी से 10 वी शताब्दी तक फैला हुआ है 
  • यह गुफा वर्ष 1951 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण , भोपाल मण्डल के अधीन संरक्षित है 

4;- चित्रकूट 

  • यह विन्ध्याचल पर्वत पर स्तिथ एक स्थल है 
  • भगवान् राम ने यहा पर 14 वर्ष का वनवास के दोरान यहा पर उन्होंने 11 वर्ष बिताये थे  
  • भक्त शिरोमणि तुलसीदास कृत रामचरित्र मानस में अनेक स्थान पर चित्रगुप्त का वर्णन किया गया है 
  • ऋषि अत्री और सती अनुसुइया ने यहा पर तप किया था 
  • यहा पर ब्रह्मा , विष्णु , और महेश ने अवतार लिया था 
  • जहागीर के क्रोध से पीड़ित अकबर के नो रत्नों में से एक अब्द्दल रहीम खानखाना ने चित्रगुप्त में शरण ली थी 

5;- ओरक्षा स्थल 

  • इसे गुप्त स्थान भी कहा जाता है 
  • यह स्थान बेतवा नदी के किनारे पर है 
  • ओरछा बुंदेलखंड सभांग में आता है 
  • यह परिहार राजाओ की राजधानी भी रहा है 
  • परिहार राजाओ के बाद यहा चंदेलो का शासन रहा 
  • इसके बाद में बुंदेलो ने ओरछा को राजधानी बनाया 
  • राजा रूद प्रताप 1501 - 1531 तक ओरछा को बसाया था 
  • इस किले के निर्माण में करीब 8 वर्ष लागा 
  • अकबर के शासन काल के समय यहा पर मधुकर शाह ने राज्य किया था 
  • यहा पर जहागीर महल , शीशमहल , राजमहल , राजा राम का मंदिर , लक्ष्मी नारायणम का मंदिर प्रमुख है 

6;- मांडू 

  • मांडू मूल रूप से मालवा के परमारों की राजधानी थी 
  • 13 वी शाताब्धि में मालवा के सुलतान ने कब्ज़ा किया था 
  • मांडू स्थल समुद्र ताल से 2000 फिट की उचाई पर है 
  • मांडू से नर्मदा नदी एक लकीर की तरह दिखाई देती है 


7;- ओम्कारेश्वर 

  • इसका प्राचीन नाम मान्धता है 
  • 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है 
  • यहा पर ओम्करेश्वर में नर्मदा घाट , सिद्धनाथ का मंदिर , मार्कण्डेय आश्रम , ममलेश महादेव मंदिर है 

8;- महेश्वर 

  • इसका प्राचीन नाम महिष्मती था 
  • इसकी स्थापना होलकर वंश की रानी अहिल्या बाई ने की थी 
  • यहा पर भवानी माँ का मंदिर , अहिल्या बाई की प्रतिमा , भरथरी गुफाये भी शामिल है  

9;- उज्जैन 

  • उज्जैन को अवन्ती के नाम से भी जाना जाता है 
  • महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जैन का वर्णन किया था 
  • वामनपुराण में यह लिखा है की प्रहलाद जो विष्णु भक्त्त उज्जेन में दर्शन किये और स्नान किया था 
  • गरुड़ पुराण ' के अनुसार प्रथ्वी पर स्तिथ सात्पुरियो में उज्जैन  सर्वक्ष्रेष्ट है इसे शरीर नाभि देश भी कहा गया है 
  • उज्जैन का सिंहस्त पर्व प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार लगता है 

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